भाग 3 मौलिक अधिकार( अनुच्छेद 12-35 ) Fundamental Rights Article 12 to 35 in hindi
जवाहर लाल नेहरू ने भाग 3 मौलिक अधिकारों को संविधान की अन्तआंत्मा कहा है ।
अनुच्छेद 13 भारत में राज्य का कोई कानून या आदेश नहीं चल सकता जो इन मौलिक अधिकारों का हनन करे ।
अनुच्छेद 32 : मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की जा सकती है ।
अनुच्छेद 226 : किसी उपयुक्त उच्च न्यायालय में भी ये याचिका दायर की जा सकती है ।
Fundamental Rights Article 12 to 35 in hindi |
समानता का अधिकार ( अनुच्छेद 14 से 18)
अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी लोग ( भारतीय-गैर भारतीयों के लिए) कानून की दृष्टि से समान है सभी को कानून का समान संरक्षण प्राप्त है ।
अनुच्छेद 15 सार्वजनिक उपयोग क्री वस्तुएँ सभी नागरिकों के लिए खुली हैं सड़के, पुल, घाट, बाजार, दुकाने इत्यादि इनके प्रयोग में पांच आधारों पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता जैसैधर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान । लेकिन राज्य महिलाओँ, बच्चों सामाजिक दृष्टि से पिछडो के लिए sc ,st के पक्ष में भेदभाव कर सकता है । संशोधन पहला 1951 शिक्षा संस्थाओं के आरक्षण इसी में आते हैं ।
संविधान संशोधन 93 राज्य कानून बनाकर निजी और गैर सहायता प्राप्त संस्थाओं में भी ऐसे आरक्षणों की व्यवस्था कर सक्ता हैं लेकिन अल्पसंख्यकों की संस्थाओ में ऐसा नहीं कर सकता ।
अनुच्छेद 16 :लोकसेवाएँसभो नागरिको के लिए खुली हुई हैऔर सभी को अवसर की समानता सुरक्षित की जाती है । लेक्ति राज्य sc ,st ,obc के लिए लोक सेवाओं मे आरक्षण दे सकता है ।
सबिथान संशोधन 77 कहता है कि sc,st को लोक सेवाओं में पदोन्नति के समय भी आरक्षण दे सकता है । फिर सत् 2000 में संशोधन 81 हुआ ये कहता है कि अगर sc ,st ,obc की सीटे खाली पड्री है और उनका विज्ञापन दिया जाता है तो उन्हें नयी नियुक्तियों में नहीं जौड़ा जा सकता जिन पर सर्वोच्च न्ययालय का 50% का नियम लागु होता हैं ।
संविधान संशोधन 82 इसमें कहा गया है कि अनुच्छेद 335 को पढ़े लिखा है की आरक्षण को उसी सीमा तक रखा जाए कि कुशलता के मानदण्ड को हानि ना पहुँचे लेकिन इस संशोधन ने राज्य को ये शक्ति दी है कि पदोन्नति संबंधी परिक्षाओं में sc st के लिए कोई भी न्यूनतम रेखा खींच सकता है ।
अनुच्छेद 17 छुआछूत वर्जित है । इसका प्रचार करना भी वर्जित है ।
अनुच्छेद 18 ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई उपाधियाँ अवैध की जाती है लेकिन राज्य सैनिक और शेक्षिक महत्व की उपाधियाँ दे सकता है । भारत का कोई नागरिक राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई विदेशी उपाधि नहीं ले सकता ।
स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को 6 स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाती है
1. भाषण व्र अभिव्यक्ति
2. शांतिपूर्ण संभाएँ करना ।
3. संघ/समुदाय बनाना
4. देश में भ्रमण
5 . देश में कही रहना/बसना
6. कोई कारोबार/धंधा या नौकरी करना ।
लेकिन ये स्वतंत्रता परम नहीं है राज्य कुछ आधारों पर इनके प्रयोग पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगा सकता है जैसे भारत की प्रभुसत्ता, देश की सुरक्षा, लोक नैतिकता, अदालत की अवमानना,मित्र देशों से संबंध, अपराधी क्रो उकसाने से रोकना इत्यादि ।
अनुच्छेद 20 इसमें तीन बिन्दू हैं
1. किसी व्यक्ति को उस कानून के तहत पकड्रा जा सकता है जो उस समय लागू है ।
2. एक अपराध के लिए एक बार दण्डित किया जा सकता है ।
3. किसी को अपने खिलाफ गवाही देने पर बाध्य नहीं किया जा सकता अर्थात् आत्म-आरोपण वर्जित है ।
अनुच्छेद 21 इसमें यह हैं कि जब तक कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन न किया जाए किसी को शारीरिक, आर्थिकदण्ड नहीं दिया जा सकता ।
अनुच्छेद 21 A राज्य कानून बनाकर 6 सै 14 साल तक के बच्चो कोअनिवार्य व निशुल्क शिक्षा देगा । संविभाग संशोधन 86 (2002 )
अनुच्छेद 22 यदि किसी व्यक्ति क्रो पकडा जाता है तो उसे 24 घंटों के भीतर निकटतम न्यायाधीश के न्यायाशम में पेश किया जायेगा जहाँ उसे अपने बचाव के लिए अपने वकील करने की छूट होगी । सभी लोगों के लिए लागू । लेकिन राज्य निवारक निरोध कानून बना सकता हैं यदि किसी को ऐसे कानून के तहत पकडा जाता है तो उसे लम्बे समय के लिए हिरासत में रखा जा सकता है । 3 महीने बाद सलाहकार मण्डल की सिफारिश पर ये समय बढाया जा सकता है इस सलाहकार मण्डल में वही हो सकता है जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होने की योग्यता रखता हो ।
शोषण के विरुद्ध अधिकार
अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी से जबरदस्ती कार्यं या बेगार लेना वर्जित है और मानवों का क्रय-विक्रय भी वर्जित है । इसका तात्पर्य है कि दासता वर्जित है लेकिन अगर काम उसके कर्त्तव्य का अंग है तो करना पडेगा
अनुच्छेद 24 राज्य 14 साल से कमउम्र के बच्चों को कारखानों के भीषण काम में लगाने से रोक सकता है ।
धर्म का अधिकार
अनुच्छेद 25 इसके अनुसार सभी लोगों को अन्तकरण की स्वतंत्रता है इसलिए कोई धर्म मानों और शांतिपूर्ण तरीके से उसका प्रचार कर सकते हैं । सिख, बौद्ध, जेन हिन्दूमाने जायेंगे सिखों को कृपाण रखने का अधिकार होगा और राज्य मंदिरों का प्रवेश खुलवा सकता है ।
अनुच्छेद 26 लोग अपने धार्मिक व दानार्य संस्थाओ को चला सकते हैं ।
अनुच्छेद 27 राज्य कोई ऐसा कर नहीं लगा सकता जिससे किसी धर्म को लाभ हो ।
अनुच्छेद 28 राजकीय संस्थाओं में धार्मिक शिक्षण नहीं हो सकता है लेकिन अगर बो संस्था किसी धर्म से जुडी है तो वहां धार्मिक शिक्षण हो सकता है किन्तु उसमें किसी की उपस्थिति अनिवार्य नहीं की जा सकती ।
संस्कृतिक और शिक्षा के अधिकार
अनुच्छेद 29 सभी नागरिकों क्रो अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा लिपी को सुरक्षित व संवर्धित करने का अधिकार 'है ।
अनुच्छेद 3० धार्मिक व्र भाषायी अल्पसंख्यकों को ये अधिकार है कि उनको अपने शिक्षण संस्थान बनाने व चलाने का अधिकार है ।
अनुच्छेद 31 सम्पत्ति का अधिकार खत्म कर दिया है संशोधन 44 (1978) ने इसलिए सम्पत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है लेकिन 1951 संविधान संशोधन प्रथम ने अनुछू 31A 31 बी जोड़ा
31 A सम्पति और सम्पदा की व्यापक परिभाषा दी गई है,
31 बी के अनुसार संविधान में 9वीं अनुसूची जोडी गई । राज्य का कोई कानून या आदेश इस नवीं अनुसूची में शामिल कर दिया जाता है तो उसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
सवैधानिक उपचारों का अधिकार
अनुच्छेद 32 ये अनुच्छेद इतना महत्वपूर्ण है कि अम्बेडकाने इसे, " 'संविधान क्री आत्मा कहा है' ' यदि किसी के मौलिकअधिकारों का हनन होता है तो वे सर्वोच्च न्यायालय में अपनी रिट/याचिका दायर कर सकता है तब न्यायाल उस याचिका को सूनेगा और पीडित पक्ष क्रो राहत देने के लिए 5 प्रकार के विशेषलेख जारी कस्ता हैं :
1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण लेख न्यायालय संबंधित पक्ष की आदेश देता है कि बंद व्यक्ति को उसके सामने पेश किया जाए और उसके बंदीकरण का कारण बताया जाए।
2. परमादेश लेख न्यायालय संबंधित पक्ष को आदेश देता है कि अमुक कार्य फौरन कर दिया जाए ।
3. प्रतिबद्ध लेख न्यायालय संबंधित अधिकारी को आदेश देता है कि अमुक कार्यं तुरन्त रोक दिया जाए ।
4 .अधिकारपृच्छा लेख :न्यायालय संबंधित अधिकारी को आदेश देता है कि अमुक नियुक्ति7पदोन्नति क्यों की गई और उसका औचित्य सिद्ध कीजिए।
5 . उत्प्रेषण लेख न्यायालय किसी निचली अदालत को आदेश देता है कि वो मामला अमुक अदालत में हस्ता-त्तरिक कर दिया जाए ।
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